पूड़ी परांठे के साथ अरबी की सब्जी बहुत ज्यादा अच्छी लगती है, चाहे वो अरबी फ्राई हो या कुरकुरी अरबी या बेसन वाली अरबी (Besan wali Arbi). हर अरबी का अपना अपना विशिष्ट स्वाद.
साबुत लसोड़े का अचार (Gunda Pickle) दो तरीके से बनाया जाता हैं, एक तो बिना मसाले का और दूसरा मसाले के साथ, बिना मसाले के लसोड़े बच्चों को बहुत पसन्द आते हैं लेकिन मसाले वाले लसोड़े भी बड़े स्वादिष्ट होते हैं. लसोड़े का अचार (Lasodaa Achar) तो मेरे घर में सबको बहुत ज्यादा पसन्द है.
दाल बाटी (Daal - Batti) जितना राजस्थान में पसंद किया जाता है उतना ही दाल बाफला (Dal Bafla) के नाम से इंदौर-मालवा के इलाके में पसंद किया जाता है. जब भी कभी छुट्टी हो, घर में मेहमान हों, और आप गप शप में दिन बिता रहे हों तो दाल बाटी (Daal Baati) यानी दाल बाफला (Dal Bafla) बनाईये. इसे बनाते समय आप बीच बीच में अपनी गप शप भी करते रहिये. आपको इन्हें बनाते समय बातचीत के लिये भरपूर समय मिलेगा और आप स्पेशल खाना भी तैयार कर सकेंगे.
कच्ची हल्दी का अचार खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है इसमें अनेकों औषधीय गुण भी हैं. स्वाद में एकदम तीखा हल्दी का अचार की बस एक चौथाई चम्मच आपके खाने को एक नया स्वाद देगी.
पंचरतन दाल या पंचमेल दाल (Panchratana dal) राजस्थान की विशेष रेसिपी है. इसे पंचमेल दाल (Panchmel Dal) भी कहते हैं. यह पंचरतन दाल पांच दालों को बराबर मात्रा में मिला कर बनाई जाती है. हर एक दाल के गलने का समय दूसरी दाल से अलग होता है. जब पांच दाल एकसाथ मिला कर एक ही समय में पकाई जातीं है तो इनमें कोई दाल अधिक गली हुई होती है और कोई कम. इसमें खड़े मसाले कूट कर या दरदरे कर के डाले जाते है, इन सबका का स्वाद एकदम अलग होता है. आइये आज हम पंचरतन दाल (Panchratana Dal) बनायें.
कैर सांगरी (Kair and Sangri Sabzi) राजस्थान की ज्यादा तेल और ज्यादा मसाले के साथ बनने वाली चटपटी सब्जी है, कैर छोटे छोटे गोल गोल होते हैं, और सांगरी 2-4 इंच लम्बी पतली फली होती हैं. कैर और सांगरी के पेड़ राजस्थान में मिलते हैं. वहां के लोग सीजन में ताजा फलों से कैर, सांगरी की सब्जी बनाते हैं और बाद के लिये कैर और सांगरी को अच्छी तरह सुखा कर रख लिया जाता है, जब भी सब्जी बनानी हो इसे पानी या छाछ में भिगो कर बना लिया जाता है. सूखी हुई कैर सांगरी बड़े शहरों में किसी बड़ी किराना स्टोर पर मिल जाते हैं, कैर सांगरी को राजस्थाने की मेवा भी कहा जाता है. कैर सांगरी इसका स्वाद इतना अच्छा और अलग हैं कि आप इसे बनायेंगे तभी जान पायेंगे.
नमकपारे जैसे कुरकुरे लेकिन कई परतों वाले और कलोंजी का खास स्वाद समेटे निमकी दिखने में बोम्बे काजा जैसे होते हैं, लेकिन स्वाद में नमकीन मसालेदार. इन्हें चाहें तो मसाला की तरह खायें चाहे तो कसूंदी या धनिया चटनी के साथ खायें, दोनों तरह खाने से इसका अद्भुत स्वाद आपको बेहद पसंद आयेगा.
सब्जियाँ और दालें करीब करीब हम रोजाना ही खाते हैं, जब कुछ अलग खाने को मन करता है तो हम कढ़ी (Dahi Besan Kadi) बनाते हैं. कढ़ी कई प्रकार की होती है. पकोड़े की कढ़ी प्रमुख है. यह उत्तर भारत में बनाई जाती है.आज प्रस्तुत है, बेसन कढ़ी पकोड़ा (Kadhi Pakoras Recipe ). इसे आप रोटी, नान या चावल के साथ खा सकते हैं.
राजस्थानी खाने में मंगोडी अनेकों सब्जियों के काम्बीनेशन में प्रयोग की जाती हैं. मूंग दाल की मंगोडी (Moong Dal Mangodi) को आप किसी भी सब्जी के साथ बना सकते हैं. टिन्डे और मूंग की दाल की मंगोड़ी (Tinda Moong Dal Mangodi Curry) की सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट बनती है, आइये आज अपने लन्च में टिन्डे मंगोड़ी की सब्जी बनायें.
खूबा रोटी राजस्थान का व्यंजन है यह सामान्य रोटी से थोडी़ मोटी और कुरकुरी और बेहद स्वादिष्ट होती है. जब आपका मन कुछ नया और अलग खाने का हो तब इस रोटी को बनाइये.
गोविन्द गट्टे की सब्जी (Govind Gatte ki Sabzi) राजस्थानी सब्जी है, मावा मसाला भरवां गोविन्द गट्टे की सब्जी को हम किसी भी त्यौहार पर या किसी भी पार्टी के लिये बना सकते हैं.
बेसन की कढ़ी तो आप सभी पसंद करते ही होंगे, मूंग दाल या चने की दाल से बनी कढी का स्वाद बेसन की कढी से एकदम हटकर होता है. आईये आज मूंग दाल की कढी बनायें.
बेसन का हलवा कई तरह से बनाया जाता है लेकिन खास राजस्थानी पारम्परिक तरीके से बनाये गये बेसन हलवा का कोई जबाव नहीं होता. झटपट और आसान तरीके से बनाये गये इस बेसन हलवा (Besan Halwa ) का स्वाद आप आसानी से नहीं भूल पायेंगे.
राजस्थानी गट्टा करी तो आपने बनाई ही होगी. मारवाड़ के इलाके में गट्टे का पुलाव (Marwari Gatta Pulao ) और गट्टे की सूखी सब्जी भी बहुत लोकप्रिय है. त्योहार या अन्य अवसरों पर मिठाईयां खाने के बाद गट्टे का पुलाव (Gatte Ka Pulao) सभी को बेहद पसंद आयेगा. आइये आज हम गट्टा पुलाव (Gatta Rice) बनायें.
राजस्थान में बनाई जाने वाली पारम्परिक सब्जी है, जब फ्रिज में हरी सब्जियां न हो लेकिन कुछ स्पेशल भी बनाना हो तो राजस्थानी पिटौर की सब्जी (Rajasthani Pitod ki Sabzi) बनाकर देखिये. राजस्थान के पारम्परिक खाने में बेसन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. राजस्थानी पिटौर की सब्जी (Rajasthani Pitod Curry) बनाने के लिये भी मुख्य सामग्री बेसन और दही का प्रयोग किया जाता है. राजस्थानी बेसन के गट्टे (Rajasthani Besan ke Gatte) की सब्जी जहां बेसन को गट्टे की शक्ल देकर भाप में पकाते हैं.
बाटी कई तरह से बनाई जाती है. जैसे बाटी को उबाल कर बनाई हुई बाफला बाटी, मसाले और स्टफिंग भरी हुई भरवां बाटी या फ्राइड बाटी वगैरह. आज हम मिक्स आटे में दरदरे कुटे मसाले डालकर बनाई गई राजस्थानी मसाला बाटी बना रहे है.
पकौडे की कढी के विपरीत बूंदी की कढी आपको हर एक ग्रास में नन्ही नन्ही पकौडी होने का खास स्वाद देती है. बूंदी की कढी आप घर पर ताजा बूंदी तलकर बना सकते हैं या बाजार से बूंदी लाकर भी बना सकते हैं.
बेसन और गुड़ से बनने वाले बेसन के मीड़ा लड्डू, बेसन और गूड़ से बनाये जाते हैं, राजस्थान में ये लड्डू पारम्परिक रूप से दिवाली, होली त्योहारों पर पारम्परिक रूप से बनाये जाते हैं, लेकिन हम इन्हें कभी भी बना सकते है, खासकर सर्दी के मौसम में तो ये लाजबाव होते है.
भिन्डी को कई तरह से बनाया जाता है, जैसे भिन्डी में ज्यादा मसाला डालकर, भिन्डी में बहुत ही कम मसाला डालकर, टमाटर वाली भिन्डी, दही भिन्डी, कुरकुरी तली हुई भिन्डी, बेसन वाली आलू भिन्डी, बेसनी भिन्डी आदि . बेसनी भिन्डी (Okra & gram flour sabzi) बेसन मसाला को भिन्डी में स्टफ (okra with gram flour stuffing) करके भी बनाई जातीं है और मसाले में बेसन भूनकर भी. आज हम मसाले के साथ बेसन भून कर लाजबाव बेसनी भिन्डी बना रहे हैं.
हरी मिर्च को छोंक कर बने मसालेदार मिर्च के टिपोरे राजस्थानी थाली में अवश्य परोसे जाते हैं, बिना इसके राजस्थानी थाली अधूरी मानी जाती है.